-आर्थो वार्ड के पीछे बने सेप्टिक वार्ड के बाहर और गैलरी में जमीन पर पड़े रहते हैं मरीज

-सेप्टिक वार्ड के बाहर डस्टबिन के अलग पड़ा था जबकि कूड़ा बिखरा हुआ पड़ा था

BAREILLY : आर्थो वार्ड में मरीज के जिंदा जल जाने के बाद भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन अलर्ट नहीं हो सका। हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाए गए अज्ञात मरीजों को डॉक्टर्स ने मरने के लिए लावारिस छोड़ दिया है। ट्यूजडे रात हुए हादसे के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सेप्टिक वार्ड का रियलिटी चेक किया, तो अमानवीय नजारा दहलाने वाला था। जिन मरीजों को हाइजेनिक ट्रीटमेंट मिलना चाहिए, वह मल-मूत्र और धूल में लिपटे मिले। पढि़ए रिपोर्ट

कुछ बोलने की नहीं थी स्थिति

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम दोपहर करीब 12:50 बजे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आर्थो वार्ड पहुंची। अज्ञात मरीजों के बारे में पूछा गया तो स्टाफ ने सेप्टिक वार्ड की तरफ भेज दिया। सेप्टिक वार्ड के सामने पहुंचे ही थे कि सफेद रंग के मटमैले कपड़े में लंबी दाढ़ी वाला एक बुजुर्ग जमीन पर औंधे मुहं पड़ा था। वह दर्द से कराह रहा था। कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था। वार्ड में मौजूद डॉक्टर व अन्य स्टाफ उसे गंदगी के बीच तड़पने के लिए छोड़ दिए थे। ताकि, वह जितनी जल्दी मर जाए और उन्हें इलाज करने से मुक्ति मिले।

बरामदे में भी दो महिलाएं जमीन पर

टीम ने वार्ड के गेट से जैसे ही एंट्री की तो बरामदे में ही जमीन पर कराहती एक बुजुर्ग महिला मिली। यह सेप्टिक पेशेंट है। पेट खराब होने की वजह से उसने गंदगी कर दी थी। दर्द से कराहती बुजुर्ग महिला जहां-जहां घिसट कर जा रही थी। गंदगी भी फैल रही थी। वार्ड में मौजूद दूसरे पेशेंट व तीमारदारों ने बताया कि कई घंटे से महिला गंदगी किए है, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। लोगों ने बताया कि यह महिला अज्ञात है और कई दिन से एडमिट हैं। महिला जहां कराह रही थी, उसी के सामने स्टॉफ रूम भी है, वार्ड ब्वॉय, सिस्टर और डॉक्टर्स ने नजरअंदाज कर दिया।

यूरिन पॉलीबैग भी फुल

बुजुर्ग महिला से चंद कदम की दूरी पर एक युवती बरामदे में जमीन पर कराह रही थी। उसे यूरिनल बैग भी लगा था, जो फुल हो गया था। जिसके चलते उसे सेप्टिक पेन के अलावा पेट में भी दर्द हो रहा था। हैरानी की बात रही कि उसका भी कोई देखरेख करने वाला नहीं था।

सेप्टिक वार्ड में गंदगी का बसेरा

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आइसोलेशन और सेप्टिक वार्ड एक किनारे बनाए गए हैं। ताकि, यहां भर्ती पेशेंट से दूसरे लोगों को किसी प्रकार का इंफेक्शन न हो। चूंकि सेप्टिक पेशेंट को भी इंफेक्शन का बड़ा खतरा रहता है। इसलिए वार्ड को पूरी तरह हाइजेनिक रखे जाने का प्रावधान है। मरीजों को वार्ड में ही बेहतर तरीके से ट्रीटमेंट देने के लिए डॉक्टर से लेकर अन्य स्टाफ मौजूद रहते हैं, लेकिन बदहाली की तस्वीर इस नियम कायदे को झुठला रही है।

सेप्टिक के पेशेंट्स को अलग वार्ड में रखा जाता है। ताकि, इनसे दूसरे मरीजों को इंफेक्शन न हो सके। इसके अलावा सेप्टिक पेशेंट को भी इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। इसलिए, इनका ट्रीटमेंट भी हाइजेनिक तरीके से किया जाना चाहिए।

डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ

एक प्रधान ने मुझे सेप्टिक वार्ड में गंदगी की जानकारी दी। मैं इस मामले में कार्रवाई करूंगा। जब ड्यूटी लगी है, तो फिर जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए। लापरवाही के लिए जिम्मेदारी स्टाफ पर कार्रवाई होगी।

डॉ। केएस गुप्ता, एडी एसआईसी

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