-खाली क्लास रूम और बंद क्लासों में जल रही लाइट चल रहे पंखे

-हर महीने 15 से 20 लाख रुपये का विवि प्रशासन कर रहा भुगतान

आगरा। शासनस्तर से फिजूलखर्ची को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, एक ओर तो खर्च कम करने के लिए अक्षम कर्मचारियों को जबरन रिटायर्ड किया जा रहा है। वहीं विवि में अव्यवस्था रोकने पर कोई गंभीर नहीं है। बिजली का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है। शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। डॉ। भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है। कर्मचारी और अधिकारी अपनी कार्यशैली, रिश्वतखोरी के लिए विवादों में घिरे रहते हैं। इस बार मामला उनके घरों और दफ्तर का है, जहां विद्युत का भरपूर दुरुपयोग किया जाता है।

घर और कार्यालय में 24 घंटे एसी

विवि कर्मचारियों के घरों और कार्यालयों में लगे एयरकंडीशनर का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं बंद क्लास रूम और स्टोर्स में भी पंखे चलते देखे जा सकते हैं, विभागाध्यक्षों के कमरों में लग रहे एयरकंडिशनर उनकी अनुपस्थिति में भी ऑन रहते हैं। जबकि उनके द्वारा क्लास में पेयजल, विद्युत संरक्षित करने के लेक्चर स्टूडेंट्स को दिए जाते हैं। असमय विद्युत खपत की जानकारी कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक के संज्ञान में हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

फिजूलखर्ची पर शासन का अंकुश

बेवजह फिजूलखर्ची को रोक ने के लिए शासन से नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है, साथ ही समय से पूर्व कार्य करने में अक्षम कर्मचारियों को रिटायर्ड भी किया गया है, जिससे खर्चो पर अंकुश लगाया जा सके। वहीं डॉ। भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में लाखों रुपये की मोटी रकम हर महीने विद्युत बिल भुगतान के नाम पर टोरंट प्राइवेट लिमिटेड के खाते में जमा हो रही है, अगर कर्मचारी और अधिकारी चाहें तो विद्युत का सही इस्तेमाल कर बड़े खर्च में कटौती की जा सकती है।

बुनियादी सुविधा हो सकती हैं बेहतर

विवि प्रशासन द्वारा कार्यालय और घरों में व्यय होने वाली विद्युत फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाया जाए तो बचत की धनराशि को स्टूडेंट्स को मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं को और बेहतर किया जा सकता है, फिर चाहे परिसर में पेयजल व्यवस्था हो या अन्य बुनियादी सुविधा। विवि के आलाधिकारी इसे एक अभियान के रूप में लागू करें तो निश्चित रूप से विद्युत बिल भुगतान को कम किया जा सकता है।

विद्युत बचाओ को पलीता

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रहित में विद्युत बचाओ जैसे स्लोगन का समय-समय पर सार्वजनिक किया जाता है। जिससे गांव और शहर में विद्युत की बेवजह खपत को कम किया जा सके। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं हैं।

वर्जन

विद्युत संचालन में लापरवाही पर विभागाध्यक्ष, कर्मचारी और स्टूडेंट्स को अवगत कराया जाएगा। क्लास रूम से बाहर निकलते समय लाइट और एयरकंडिशनर को ऑफ किया जाए। यह एक सराहनीय पहल है जिसके लिए विवि प्रशासन सहयोग के लिए तैयार है।

मनोज श्रीवास्तव, चीफ प्रॉक्टर