- शिक्षा माफिया और नकल पर नकेल कसने की कवायद

- डीआईओएस से मांगा गया है, विद्यालयों का ब्योरा

Meerut यूपी बोर्ड की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट परीक्षा केंद्र के निर्धारण में अब शिक्षा माफिया व डीआईओएस की नहीं चल पाएगी। परीक्षा में पारदर्शिता लाने व नकलमुक्त बनाने के लिए बोर्ड ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। किस जिले में किस स्कूल में परीक्षा होगी उसका निर्धारण अब यूपी बोर्ड खुद करने वाला है। प्रदेश के सभी जिलों के डीआईओएस से बोर्ड ने स्कूलों का ब्योरा भी मांग लिया है। डीआईओएस की दी गई सूचना संबंधित एसडीएम द्वारा प्रमाणित कर मुख्य कार्यालय में भेजने को कहां गया है। बोर्ड उसकी समीक्षा करने के बाद ही केंद्रों का निर्धारण करेगा।

पहले भी ली थी जिम्मेदारी

बता दें कि इससे पहले वर्ष ख्008-09 में हुई बोर्ड परीक्षा में केंद्र निर्धारण की जिम्मेदारी बोर्ड ने खुद ली थी। बाद में राज्य सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए डीएम और डीआईओएस को जिम्मेदारी सौंप दी थी। इसके बाद बोर्ड एग्जाम के लिए केंद्र निर्धारण डीएम और डीआईओएस की रिपोर्ट के आधार पर ही होने लगा था। जिसमें कई तरह की खामियां सामने आई थी।

नकल माफियाओं का राज

पहले जब यह नियम लागू नहीं था, तो प्रभावशाली नेता, अधिकारियों के साथ नकल माफिया सांठगांठ करके केंद्र निर्धारण कर लिया करते थे। ऐसे में कई बार तो नियमों ताक पर रख डिबार केंद्रों को भी परीक्षा केंद्रों में शामिल करवा लिया जाता था। इससे केंद्र निर्धारण को लेकर प्रश्न चिंह भी लगते रहे हैं। साथ ही नियम-कानूनों बनने के बाद भी नकल माफियों पर लगाम नही लग पाती है। लेकिन शासन ने इस नियम को हरी झंडी मिलने के बाद नकलमाफियों पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।

बेवसाइट पर होगी पूरी जानकारी

यूपी बोर्ड परीक्षा नकलमुक्त हो व केंद्र निर्धारण में भी पारदर्शिता रहे। इसके लिए केंद्रों संबंधित पूरी जानकारी भी यूपी बोर्ड बेवसाइट पर डालेगा। जिस पर कोई भी नजर रख सकेगा। सारा ब्योरा यूपीएमएसपी डॉट पीडीयू डाट इन पर डाला जाएगा। बेवसाइट का काम बोर्ड किसी कम्प्यूटर स्पेशलिस्ट कर्मचारी के साथ उपकरणों की मांग की गई है।

बोर्ड ने यह मांगी है जानकारी

यूपी बोर्ड ने डीआईओएस से हर विद्यालय का पूरा ब्योरा मांगा है। इस जानकारी में स्कूल कहां स्थित है, स्कूल में प्रयोगशाला है या नहीं, कमरे कितने हैं, पंखे कितने हैं, एग्जाम में बैठने के लिए कितने फर्नीचर है और क्या व्यवस्थाएं हैं। कितनी अलमारी है, शिक्षकों की संख्या क्या है। स्कूल में कर्मचारी कितने है बाउंड्रीवाल है या नहीं है, पीने का पानी है। क्लास में कितने दरवाजे है और दरवाजे सही लगे हैं या नहीं। बिल्डिंग कितनी ज्यादा पुरानी है। आदि जानकारी डीआईओएस को हर स्कूल के बारे में देनी होगी।

परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में इस तरह की गड़बड़ी का मामला तो सामने नहीं आया है। लेकिन अगर बोर्ड ने नया नियम लागू करने की सोची है। तो फिर विभाग द्वारा उस पर अमल किया जाएगा।

-शिव कुमार ओझा, डीआईओएस