24 प्रतिशत बढ़े महिलाओं के प्रति अपराध

4 माह में 1522 दुष्कर्म की घटनाएं

10 में से 8 घटनाएं परिचितों के द्वारा

867 दहेज हत्याएं साढ़े चार माह में

6 दहेज हत्याएं रोज प्रदेश में

- महिला अपराधों पर नहीं लग पा रही लगाम, यूपी पुलिस के आंकड़े खुद ब खुद दे रहे गवाही

- दहेज मृत्यु की संख्या भी डराने वाली

पीडि़ताओं की एफआईआर दर्ज की
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LUCKNOW : सरकार व पुलिस अधिकारी महिला सुरक्षा पर चाहे जितने बढ़-चढ़कर दावे करें लेकिन, हकीकत इससे बिलकुल जुदा है। प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे। आलम यह है कि प्रदेश में हर रोज 11 महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। इस भयावह स्थिति के बावजूद पुलिस न तो इसे रोकने के लिये कोई कार्ययोजना बना पाई है और न ही अपराधियों के मन में भय पैदा करने की ही कोई कार्रवाई कर रही। नतीजतन, प्रदेश की आधी आबादी अब भी डर-डर कर जीने को मजबूर है। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि यह आंकड़े इस वजह से दिखाई दे रहे क्योंकि अब सभी पीडि़ताओं की एफआईआर दर्ज की जा रही है।

24 फीसदी बढ़े महिला अपराध
यूपी पुलिस थानों में दर्ज होने वाली दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश, दहेज हत्या, अपहरण, शारीरिक शोषण, अश्लील हरकत या घरेलू हिंसा जैसी धाराओं में दर्ज होने वाली एफआईआर की लगातार समीक्षा कर रही है। डीजीपी मुख्यालय ने हाल ही में प्रदेश भर के थानों से महिला अपराधों के संबंधित दर्ज एफआईआर की डिटेल मंगाई, जिसका विश्लेषण किया जा रहा है। अगर इस साल 1 जनवरी से 15 मई तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि महिला अपराध में 24 फीसदी का इजाफा हुआ है।

डरावने हैं दुष्कर्म के आंकड़े
इस साल के शुरुआती साढ़े चार महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस मियाद में 1522 महिलाओं, युवतियों व बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं अंजाम दी गई। अगर इसे दिनों में भाग दें तो यह आंकड़ा हर रोज 11 के करीब बैठता है। यानी प्रदेश के हर रोज 11 महिलाओं, युवतियों व बच्चियों को दरिंदगी का शिकार होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, दहेज की वजह से होने वाली मौतों की संख्या भी भयाक्रांत करने के लिये काफी है। साढ़े चार महीनों में प्रदेश में कुल 867 महिलाओं को दहेज के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यानी हर रोज 6 महिला दहेज लोभियों का शिकार हो रही है। दहेज की रोकथाम के लिये तमाम कानून और पुलिस के तमाम दावों के बावजूद इन आंकड़ों में इजाफा जारी है।

'गुम' हो गया एंटी रोमियो स्क्वायड
योगी सरकार के सत्ता में आते ही शोहदों पर लगाम कसने के लिये हर थाने में एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया। शुरुआती दिनों में स्क्वायड ने पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर शोहदों के खिलाफ सघन कार्रवाई की। जिसके बेहतर परिणाम भी सामने आए। पर, समय के साथ ही एंटी रोमियो स्क्वायड थानों में ही गुम हो गया। जानकारी करने पर पता चला कि स्क्वायड का औपचारिक रूप से गठन तो हर थाने में है लेकिन, इसमें तैनात पुलिसकर्मियों को दूसरी ड्यूटी पर तैनात किया जा रहा है। वहीं, अधिकारियों में भी इस स्क्वायड के प्रति बेरुखी ने इसकी सक्रियता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।

बेहिचक दर्ज करा रही एफआईआर'
प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि आंकड़ों से जाहिर है कि महिलाएं अब बेहिचक और निडर होकर एफआईआर दर्ज कराने के लिये थाने पहुंच रही हैं। उन्होंने कहा कि अपराध को दबाना बंद हो गया है। लोग ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यह दर्शाता है कि लोगों का पुलिस पर भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अपहरण और रेप की घटनाओं के खुलासों में महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि हर 10 में से आठ घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनमें घटना पीडि़त के परिचितों द्वारा अंजाम दी जाती है।