क्रेडिट लेने की होड़, ठगा महसूस कर रहे आम प्रतियोगी

ALLAHABAD: लोक सेवा आयोग के खिलाफ भड़का प्रतियोगी छात्रों का आन्दोलन एक बार फिर फुस्स होता नजर आ रहा है। इसके पीछे मुट्ठीभर छात्रनेताओं और छात्र संगठनों की वह पैतरेबाजी है। जिसकी मंशा देखने में तो कुछ और है, लेकिन उसकी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

मौके आया तो बंटे नजर आ रहे

कहने को तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कई छात्र संगठन हैं। जिनकी अलग-अलग विचारधारा भले ही हो, लेकिन उद्देश्य छात्र हितों के लिए लड़ाई लड़ना है। वहीं अब जब वास्तव में छात्रों के हक की आवाज को बुलंद करने का समय आया है। तब सभी एक दूसरे से बंटे नजर आ रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे भी छात्र संगठन हैं जो कुछ समय पहले ही लोक सेवा आयोग और स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन के खिलाफ उपजे आक्रोश की पैदाइश हैं।

क्रेडिट लेने की मची होड़

शायद यही कारण है कि लाखों प्रतियोगियों की संख्या वाले एजुकेशन हब में छात्रों की आवाज बार-बार अंतिम सांस लेने को उतावली नजर आती है। करेंट का छात्र आन्दोलन हो या फिर पूर्व में उपजा आक्रोश, हर बार वही कहानी दुहराई जा रही है। बारम्बार प्रतियोगी छात्र नेताओं और छात्र संगठनों की अगुवाई में पूरे भरोसे के साथ उतरने की कोशिश करते हैं। लेकिन हर बार आन्दोलन आपसी खेमेबाजी और क्रेडिट लेने की होड़ में पिछड़ जा रहा है।

बेबस हुए वरिष्ठ प्रतियोगी

इसका एग्जाम्पल वेडनसडे को हिन्दू हास्टल चौराहे पर भी देखने को मिला। जिसमें छात्रों की नुमाइंदगी कर रहे कुछ छात्रनेंताओं की नापाक कोशिशों ने पुलिस बल को लाठी चलाने का मौका दे दिया। जबकि वरिष्ठ प्रतियोगी लगातार किसी को उग्र न होने के लिए समझा रहे थे। उनका कहना था कि यदि पुलिस को लाठी चलाने का मौका मिला तो भविष्य में प्रतियोगियों को एकजुट कर पाना मुश्किल काम होगा। फिलहाल तो आम प्रतियोगी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि प्रतियोगियों के अगुवा ही अब पुलिस की मुखबिरी करके खुद की रोटी सेकने में लग गए हैं।