2016 में भारत को बड़े रक्षा साझीदार का दर्जा दिया
वाशिंगटन (पीटीआई)।
अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने मंगलवार को भारी बहुमत से 716 अरब डॉलर (करीब 49 लाख करोड़ रुपये) के रक्षा बिल को पारित कर दिया। इस बिल में अमेरिका के प्रमुख रक्षा साझीदार भारत के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने का भी प्रावधान है। अमेरिका ने 2016 में भारत को बड़े रक्षा साझीदार का दर्जा दिया था। यह दर्जा भारत को अमेरिका से उसके दूसरे करीबी सहयोगी देशों की तरह ज्यादा उन्नत और संवदेनशील तकनीक खरीदने की अनुमति देता है।

बिल को जॉन मैक्केन का नाम दिया गया
यह आने वाले समय में सहयोग को भी सुनिश्चित करता है। राष्ट्रीय रक्षा अधिकार कानून (एनडीएए) 2019 को सीनेट में भारी बहुमत यानी दस के मुकाबले 85 मतों से पारित किया गया। इस बिल को सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष जॉन मैक्केन का नाम दिया गया है। वह पिछले कई महीनों से कैंसर से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह बिल हमारे सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी।' इस बिल पर संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की पहले ही मुहर लग चुकी है।

डोनाल्ड ट्रंप के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
विधेयक का दो भिन्न प्रारूप अब सीनेट और प्रतिनिधि सभा के कांफ्रेंस की तरफ बढ़ रहा है। संयुक्त समिति आइडेंटिकल प्रारूप पर जब सहमति जता देगी तब उसपर प्रतिनिधि सभा और सीनेट में फिर से मतदान कराया जाएगा। इसके बाद उसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। विधेयक के सीनेट प्रारूप में जहां भारत के साथ बड़ी रक्षा भागीदारी को मजबूत और बढ़ाने की बात की गई है वहीं तुर्की की रूस होने वाली रक्षा खरीद के खिलाफ व्यवस्था की बात की गई है। यदि तुर्की रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदता है राष्ट्रपति उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाएंगे।

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