उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पांच साल के परिणामों की जांच कर रही है सीबीआई
सरकार के फैसले के बाद 31 जनवरी को यूपीपीएससी की जांच के लिए पहुंचे थे एसपी राजीव रंजन
2012 से लेकर 2017 के बीच हुई नियुक्तियां हैं जांच के दायरे में
ALLAHABAD: यूपी लोक सेवा आयोग इलाहाबाद के भर्ती घोटाले की जांच कर रही सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) ने 94 दिन बाद पहली एफआईआर दर्ज की है। इसमें किसी को नामजद नहीं किया गया है। फ्रॉड और षड़यंत्र रचने की धाराओं में दर्ज मुकदमे की विवेचना जारी है। बता दें कि सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने सरकार के आदेश पर जनवरी माह में पीई (आरंभिक जांच) दर्ज कर जांच शुरू की थी। पीई दर्ज करने के बाद 31 जनवरी को सीबीआई के एसपी राजीव रंजन के नेतृत्व में दिल्ली से आई टीम ने इलाहाबाद स्थित लोक सेवा आयोग कार्यालय पहुंचकर पड़ताल शुरु की थी।
प्रतियोगी छात्रों की मांग पर जांच
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 19 जुलाई को विधानसभा सत्र के दौरान भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की घोषणा की थी।
26 जुलाई को कैबिनेट में प्रस्ताव आया
कैबिनेट की मंजूरी के बाद गृह विभाग ने केन्द्र सरकार को 31 जुलाई को जांच के लिए सिफारिश भेजी
जिसके बाद अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच हुईं यूपीपीएसी परीक्षाओं और भर्तियों की जांच का आदेश जारी किया गया
आयोग खुद को संवैधानिक संस्था बताकर सीबीआई जांच के खिलाफ कोर्ट भी गया। इस पर कोर्ट ने किसी भी पदाधिकारी को हिरासत में न लेने का आदेश दिया।
31 जनवरी 2018 को इलाहाबाद आई सीबीआई टीम ने गोविन्दपुर में अपना कार्यालय बनाया
सैकड़ों की तादात में अब तक प्रतियोगी अपनी शिकायतें जांच टीम को सौंप चुके हैं
जांच के दायरे में
मॉडरेशन
स्केलिंग
इंटरव्यू प्रॉसेस
पेपर लीक
मनमाना आरक्षण
जाति विशेष के लोगों का चयन
व्यापमं से भी बड़ा घोटाला
सपा शासनकाल में की गई भर्तियों की सीबीआई जांच से ढेरों सवालों के जवाब मिल सकते हैं। जिसे प्रतियोगी पिछले कई वषरें से उठा रहे हैं।
सपा सरकार में आयोग की हर भर्ती को लेकर कोई न कोई विवाद जरूर हुआ था।
प्रतियोगियों को भरोसा है कि आयोग का घोटाला मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से कहीं ज्यादा व्यापक साबित होगा।
सके लपेटे में पीसीएस, पीसीएस जे, लोअर सबआर्डिनेट, आरओ-एआरओ और सीधी भर्ती को मिलाकर लगभग 600 भर्तियां जांच के दायरे में आयेंगी।
आयोग में अनियमितता की प्रमुख शिकायतें
इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर चयन
ओबीसी की एक खास जाति के अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिये गये।
लिखित परीक्षा में ज्यादा नंबर पाने वाले कई अभ्यर्थी इंटरव्यू में कम अंक मिलने से सफल नहीं हो सके
पीसीएस मेन्स 2015 की अभ्यर्थी सुहासिनी बाजपेई का प्रकरण सामने आने के बाद आयोग पर मेधावियों की कॉपियां बदलने के आरोप भी लगे।
आयोग पर जानबूझकर कापियों को जला दिये जाने का आरोप लगा
पीसीएस सहित अन्य भर्तियों में स्केलिंग के नाम पर खेल किया गया
एक ही विषय में एक समान अंक पाने वाले कुछ अभ्यर्थियों का स्केल्ड मार्क अधिक तो कुछ के कम कर दिये गये
पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में स्केलिंग सेक्शन में खास लोगों को ही तैनात किया गया
पेपर लीक होने के बाद भी परीक्षा को निरस्त नहीं किया गया