जांच की वैधानिकता को चुनौती देने वाले तर्क को हाईकोर्ट ने नहीं माना

संवैधानिक संस्था की प्रदेश सरकार के आदेश पर सीबीआई जांच को लेकर उठे सवाल पर विराम लग गया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पांच साल में हुई सभी परीक्षाओं की सीबीआई जांच के खिलाफ आयोग अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव और सदस्यों की तरफ से दाखिल याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचियों का कहना था कि उप्र लोक सेवा आयोग संवैधानिक संस्था है जिसकी जांच कराने का अधिकार सरकार को नहीं है। कोर्ट ने आयोग के इस तर्क को नहीं माना और याचिका पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

सात को सुरक्षित हो गया था फैसला

चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद सात फरवरी को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन, सीबीआइ के अधिवक्ता व भारत सरकार के सहायक सॉलिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश, विनय कुमार सिंह, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल के अलावा जे एफ रिवेलो व अन्य पूर्व पुलिस/ प्रशासनिक अधिकारियों के अधिवक्ता आलोक मिश्र ने बहस की।

साक्ष्य मिले तभी होगी एफआईआर

राज्य सरकार और सीबीआइ की तरफ से कहा गया कि भर्तियों में धांधली की शिकायत की प्रारंभिक जांच की जा रही है। साक्ष्य मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कर सीबीआइ विवेचना करेगी। सरकार ने शिकायतों का गंभीरता से परीक्षण करने के बाद ही जांच का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के जांच का अधिकार, सीबीआइ जांच से प्रभावित नहीं होता। यदि परीक्षा में धांधली की शिकायत आती है तो सरकार को निष्पक्ष जांच कराने का अधिकार है।

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यह है पूरा मामला

राज्य सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने आयोग की ओर से एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक हुई सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी कर दी

अधिसूचना जारी होते ही आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव व सदस्यों ने 21 दिसंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की वैधानिकता को चुनौती दी थी

याचियों का कहना था कि आयोग के खिलाफ राष्ट्रपति की संस्तुति पर सुप्रीम कोर्ट को ही जांच कराने का अधिकार है। अन्य एजेंसी को जांच का अधिकार नहीं है

याचिका में कहा गया कि सरकार को संवैधानिक संस्था की जांच कराने का अधिकार नहीं है

इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वर्तमान अध्यक्ष व सदस्यों पूछताछ करने पर रोक लगा दी थी और सीबीआइ जांच को हरी झंडी दे दी थी