विश्व हिंदू परिषद ने लगाई थी धर्म संसद, मंदिर निर्माण को लेकर नहीं हुई कोई घोषणा

संतों में फैल गया आक्रोश, अफरातफरी और धक्का-मुक्की का माहौल

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कब से शु़रू होगा? सनातन हिन्दुओं की आस्था के सबसे बड़े यक्ष प्रश्न को लेकर शुक्रवार को सभी की निगाहें विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद पर लगी हुई थीं। परिषद के मंच पर दूसरे दिन जब महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें मंदिर निर्माण को लेकर कोई घोषणा नहीं थी। महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद ने कहा कि आंदोलन का राजनीतिकरण न हो इसलिए कोई नई घोषणा नहीं करेंगे। इस पर आक्रोशित संतों ने पूछना शुरू कर दिया कि तारीख क्यों नहीं घोषित की गई? इसके बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। फिर विहिप कार्यकर्ताओं और संतों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई की नौबत आ गई।

सरकार की चिंता, मंदिर की नहीं

परिषद के धर्म संसद में दस मिनट तक जमकर हंगामा हुआ। कुशीनगर से आए शिव मंदिर के पुजारी अशोकजी ने बताया कि हम चाहते थे कि धर्म संसद में कोई निर्णय निकाले। लेकिन, यहां सिर्फ सरकार बनाने की चिंता का ही जिक्र किया जा रहा था। सरकार को चिंता होती तो साढ़े चार साल में मंदिर का निर्माण हो जाता। अयोध्या के ब्रह्मचारी शुभम आर्य ने बताया कि कब तक इंतजार किया जाए क्या हमारे आराध्य देव को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जाता रहेगा। विरोध करने वाले संत जबलपुर के स्वामी श्याम देवाचार्य की बातों से भी बहुत व्यथित हो गए थे। जब स्वामी श्याम देवाचार्य ने मंच से यह कहा कि राम मंदिर के नाम पर कई बार सरकारें बनाई जा चुकी है। हमारा धैर्य टूटता जा रहा है।

मंच पर थे संघ प्रमुख

जिस समय संतों का विरोध शुरू हुआ उस समय मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार सहित बड़े-बड़े संत-महात्मा मौजूद थे। मंच से बार-बार यह कहा जा रहा था कि हिन्दुओं को बांटने के लिए इसी तरह का षड्यंत्र रचा जा रहा है।

मंदिर निर्माण की तारीख नहीं बताई गई। हमने पूछा तो हमें मुसलमान बताकर बाहर निकाल दिया गया। क्या यही दिन देखने के लिए इतने वर्षो से हम लोग आस लगाए थे।

-हेमंत कोशावत, कोलकता

एक बार फिर चुनाव के समय प्रभु श्रीराम के नाम पर वोट मांगने की अपील की जा रही थी। मेरा सवाल था कि तारीख बताई जाए। कब तक खिलवाड़ किया जाता रहेगा।

-आरके पाठक, गाजियाबाद

बहुत दिनों से इस धर्म संसद पर निगाहें टिकी थीं। जो भी संत-महात्मा अपनी बातों को रख रहे थे उनमें से किसी ने भी तारीख को लेकर कुछ नहीं बोला।

-सुभाष दास, अयोध्या

धर्म संसद नहीं, यहां धर्म ही संकट में आ गया है। मंदिर निर्माण के प्रस्ताव पर सिर्फ बातें दोहराई जा रही थी। मंच पर मोहन भागवत के होने के बाद भी निर्णय नहीं निकाला गया।

-सच्चिदानंद, जौनपुर