इन दिनों राजनीति में ईमानदारी और ट्रांसपेरेसी कर बात करने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल का अंदाज कुछ बदले बदले नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि संडे को दिल्ली के उत्तमनगर में मोहन गार्डन पर ऑग्रेनाइज एक पब्लिक मीटिंग में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा को घेरने वाले केजरीवाल ने खुलेआम कहा कि कांग्रेस और भाजपा कैंडीडेटस की ओर से मिलने वाले पैसे को चुपचाप रख लें, लेकिन वोट आप को ही दें. केजरीवाल ने यहां तक कह डाला कि अगर भाजपा और कांग्रेस पैसे न दें तो उनके ऑफिस जाकर उसकी डिमांड करें. उनकी इस बात पर कई लोगों ने जहां जमकर तालियां बजाई, वहीं कई लोग दबी जुबां में यह कहते नजर आए कि क्या पॉलिटिकल पार्टीज से वोट के नाम पर पैसे लेना करप्शन नहीं है?

किरन हैं पैराशूट कैंडीडेट
चीफ मिनिस्टर की पोस्ट से रिजाइन करने को बड़ी भूल बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने राजनीति का पहला सबक सीख लिया है. अब कुछ भी हो जाय इस्तीफा नहीं दूंगा. उन्होंने कहा कि इस्तीफे को लेकर लोग उन्हें हमेशा घेरते हैं. इस्तीफा देकर मैंने कोई गुनाह नहीं किया. हां, यह गलती जरूर थी. वहीं दिल्ली असेंबली इलेक्शन के अनाउंसमेंट के बाद संडे को फर्स्ट टाइम नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र पहुंचने पर केजरीवाल ने किरण बेदी को पैराशूट कैंडीडेट बताया. उन्होंने कहा कि किसी के मैदान में आने से फर्क नहीं पड़ता. लोग बेदी को मुकाबले में नहीं मान रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि भाजपा को एक ऐसा चेहरा चाहिए था जिस पर हार का ठीकरा फोड़ा जा सके. भाजपा दिल्ली चुनाव के हार का ठीकरा किरण बेदी पर फोड़ेगी. वैसे ये पैसे वाला बयान भी किरन के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद आया है तो कहीं अरविंद इशारों में ये तो नहीं कह रहे की किरन के आने और पैसों के लेन देन में कोई कनेक्शन है.

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