-पेयजल सप्लाई के लिए बनायी गयी करोड़ों की योजना कागज तक रह गयी

-पेयजल परियोजना में गड़बड़ी के पीछे जल निगम के अभियंताओं की लापरवाही

-सीएम योगी ने दी चेतावनी 30 जून तक काम पूरा नहीं होने पर अभियंताओं के खिलाफ केस करने की तैयारी

अरसे से पानी की किल्लत झेल रहे बनारस के हर घर तक पानी पहुंचाने की योजना शुरू हुई। नौ साल बाद भी योजना पूरी नहीं हुई। जल निगम के अफसरों के खेल में पेयजल परियोजनाओं पर करोड़ों खर्च हो गए लेकिन पब्लिक की प्यास नहीं बुझी। इस खेल के पीछे जो अफसर हैं अब उनके जेल भेजने की तैयारी है। बनारस में पानी की समस्या पर सीएम योगी आदित्य नाथ ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। चेतावनी के बाद भी स्थिति में सुधार न होने पर अब जल निगम के अभियंताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। इसके लिए सीएम की ओर से अभियंताओं को 30 जून तक का अल्टिमेटम भी दे दिया गया है।

बीत गए नौ साल

-शहर के हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए वर्ष 2010 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) योजना बनायी गयी।

-338 करोड़ की योजना पर काम शुरू किया गया था

-इसे वर्ष 2015 में पूरा होना था लेकिन काफी कोशिश के बाद भी नहीं हो सका

-वर्ष 2016 में केन्द्र सरकार की अमृत योजना लायी गयी

-जेएनएनयूआरएम परियोजना में छूट गए शहर के बाहरी इलाकों में भी पेयजल उपलब्ध कराने के लिए और 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

-इतनी बड़ी धनराशि से शहर में 686 किलोमीटर पाइप लाइनों का जाल बिछाने के साथ 35 ओवरहेड टैंक का निर्माण किया गया।

-पाइप लाइन बिछाने के लिए छह साल तक शहर में खुदाई का कार्य चलता रहा।

-तीन साल देर से कागजों पर जब परियोजना पूरी हुई तो न ही पाइप लाइनों से आपूर्ति चालू हो सकी

-ओवरहेड टैंक भी संचालित हो पाए। जांच में पेयजल परियोजना में हुई गड़बड़ी के पीछे जल निगम के अभियंताओं की लापरवाही सामने आई।

ऐसे किया खेल

जेएनएनयूआरएम और अमृत योजना के तहत होने वाले काम में जमकर खेल हुआ। ठेकेदारों ने पेयजल पाइप लाइन बिछाकर सड़कें तो पाट दी पर इन्हें सही ढंग से जोड़ा नहीं। ऐसे में पेयजल आपूर्ति शुरू होने पर एक से दूसरे इलाके में पानी पहुंच नहीं पा रहा है। शहर में 50 से ज्यादा एरिया में लीकेज का मामला सामने आया है। इसके अलावा भी शहर में कई ऐसे एरिया भी जहां हर घर तक पानी नहीं पहुंच रहा। जेएनएनयूआरएम के तहत वरुणापार में 200 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी अब तक चालू नहीं हो सका है। जबकि फरवरी 2019 में किसी तरह इसका उद्घाटन कर अभी तक टेस्टिंग मोड में ही रखा गया है।

होगी एफआईआर

इधर जिला प्रशासन की ओर से कई बार चेतावनी के देने के बावजूद भी जल निगम में पेजयल योजनाओं और ओवरहेड टैंकों के संचालन को लेकर कोई सुधार नहीं आया। अब सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इधर सीएम योगी ने भी जल निगम के अभियंताओं को 30 जून तक का समय दिया है। तय समय सीमा में काम पूरा नहीं हुआ तो साल 2010 से शुरू परियोजना से अब तक जल निगम में तैनात सभी अभियंताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

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एक नजर

338

करोड़ का है जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट

250

करोड़ का प्रोजेक्ट है अमृत योजना

2010

में शुरू हुआ था है जेएनएनयूआरएम पेयजल परियोजना

2016

में शुरू हुआ है अमृत योजना

686

किलोमीटर पाइप लाइन बिछाया जाना था शहर में

35

ओवरहेड टैंक बनाए गए

जल निगम को चेतावनी देने के बावजूद भी कोई सुधार नहीं आ रहा। अब सीएम ने सभी अभियंताओं को 30 जून तक का समय दिया है। इसके बाद इन पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

दीपक अग्रवाल, कमिश्नर