-शहर में अब तक नहीं लगी प्याऊ, कैसे बुझेगी राहगीरों की प्यास

-नगर निगम तो दूर, स्वयं सेवी संस्थाएं भी हुई गायब

VARANASI

शहर में बढ़ता पारा अब लोगों के लिए आफत बन रहा है। 40 प्लस टेम्प्रेचर के बीच तेज धूप और झुलसा देने वाली गर्मी में दूर-दराज से आने वाले लोग पानी के लिए तरस रहे है, लेकिन नगर निगम की तरफ से अब तक प्याऊ की व्यवस्था तक नहीं की गई। इससे राहगीरों की प्यास नहीं बुझ रही। हालांकि सक्षम लोग बोतल की पानी से प्यास बुझा ले रहे है, लेकिन जो खर्च अफोर्ट नहीं कर सकते, वे सरकारी नल, हैंडपंप या प्याऊ की तलाश में भटक रह जा रहे है। पानी के संकट से इंसान ही नहीं पशु-पक्षी भी बेहाल है। बंद पड़े सरकारी नलों के पास पहुंचने वाले छुट्टा पशुओं को पानी नसीब नहीं हो रहा।

कहां गए समाज के ठेकेदार

सिर्फ नगर निगम ही नहीं, खुद को समाज का सबसे बड़ा हमदर्द मानने और लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले स्वयं सेवी संस्थाए व क्लब भी इस सेवा से मुहं मोड़े हुए है। अब तक किसी भी संस्था ने राहगिरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था नहीं की है। जबकि छोटे से छोटे कार्यक्रमों में पहुंचने वाली भारत विकास परिषद, रोटरी क्लब, लायंस क्लब और सामाजिक संस्थाएं बड़ी बड़ी बाते करते नजर आते है।

फिर क्यों नहीं व्यवस्था

गर्मी की तपिश को दूर करने के लिए हर साल नगर निगम किसी न किसी संस्था के मदद से शहर के कई एरिया में प्याऊ की व्यवस्था करवाता है। लेकिन इस बार नगर निगम अभी भी सोया हुआ है। जबकि पारा 40 के पार हो चुका है। घरों से बाहर रहने वाले लोगों और राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गयी तो लोग हीट स्ट्रोक के शिकार होने सकते है।

मुख्य मागरें पर भी नहीं है प्याऊ

नगर निगम ने जिन जगहों पर प्याऊ का निर्माण कराता है। वहां भी अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। रेलवे स्टेशन के बाहर, बस स्टैंड, पास पोर्ट ऑफिस, विकास भवन, जिला मुख्यालय, नगर निगम, समेत तमाम स्कूल कॉलेज के बाहर प्याऊ की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा शहर के प्रमुख व्यस्ततम मार्ग जैसे गोदौलिया, दशाश्वमेध, नई सड़क, चौक, जैस सैकड़ों एरिया में भी स्थाई प्याऊ नहीं बनाया गया है। जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

कहा गया हैंड पंप

बाजारों में सार्वजनिक प्याऊ नहीं हैं। जहां कही था भी तो वो भी क्षतिग्रस्त होकर खत्म हो गया। सरकारी एजेंसियों के विफलताओं का ही नतीजा है कि सिटी में सड़कों की तरह पर्मानेंट सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था नहीं बना सकी हैं। जिसकी वजह से धूप में गला सूखने पर दो घूंट भी नहीं मिलती। शहर में सरकारी नल और हैंड पंप से निकलते शीतल जल की अगर व्यवस्था होती तो शायद लोगों को प्यास बुझाने की जरुरत ही नहीं पड़ती। लेकिन इनके लुप्त होने की वजह से पानी का संकट गहराता जा रहा है। जिसको लेकर न तो शासन गंभीर है और न ही नगर निगम।

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

वषरें से बनी हुई है स्थायी समस्या गर्मी में हर वर्ष लोगों को प्याऊ की जरूरत पड़ती है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। निगम पार्षदों की ओर से हर साल गर्मी में प्याऊ लगाने को लेकर आवाज उठायी जाती है। लेकिन निगम में हर बार पैसे का हवाला देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

एक नजर

नगरीय पेयजल प्रबंधन

19 लाख से अधिक कुल जनसंख्या

122000 के करीब वैध कनेक्शन

186 छोटे-बड़े पंप

07 महापंप भेलूपुर का

2400 के करीब हैंडपंप शहर में

250 के करीब कुआं

100 सार्वजनिक नल

फिलहाल शहर में घाट और उससे सटे एरिया में लगे 17 वाटर एटीएम में से आधे ठीक कराए जा चुके है। निगम की ओर से प्याऊ की व्यवस्था कराई जाएगी। जरुरत पड़ने पर निजी संस्थाओं से हेल्प ली जाएगी।

नितिन बंसल, नगर आयुक्त