कानपुर। पुलवामा में किये गए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में भले ही सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के 41 वीर जवान शहीद हो गए लेकिन इस फोर्स का इतिहास बहुत ही शानदार रहा है। एक समय में सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी फौज के दांत खट्टे कर दिए थे। सीआरपीएफ की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 1965 में कच्छ के रण (गुजरात) में सरहद पर पाकिस्तान के आक्रामक मनसूबों को ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया। 8 और 9 अप्रैल की मध्य-रात्रि में पाकिस्तानी फौज के 3500 जवानों ने गुपचुप तरीके से हमारी सीमा की पोस्टों पर ऑपरेशन 'डिजर्ट हॉक' के तहत हमला कर दिया।

सरदार पोस्ट पर ड्यूटी
उस वक्त सीआरपीएफ के जवान रणजीत सिंह मशीन गन के साथ सरदार पोस्ट पर ड्यूटी पर थे। उन्होंने उत्तर दिशा में 50 से 100 गज की दूरी पर कुछ हलचल देखी। दुश्मनों का पता चलते ही उन्होंने घुसपैठियों पर हमला करना शुरू कर दिया और इसके बाद पोस्ट के सभी जवानों ने मोर्चा संभाल लिया। काफी देर तक दोनों तरफ से फायरिंग होती रही, इसके बाद पाकिस्तानियों को यह अहसास कराया गया कि सरदार पोस्ट के सभी जवान या तो मर चुके हैं या गोलीबारी में घायल हो चुके हैं। इसके बाद पाकिस्तानी फौज पोस्ट की ओर बढ़ने लगी। उसके 20 जवान पोस्ट के बिल्कुल नजदीक आ गए तभी पोस्ट की तीनों मशीन गन से फायरिंग शुरू कर दिया गया और इस जानलेवा फायर ने शत्रुओं को चित कर दिया। कुछ ही देर में सभी ढेर हो गए।

14 पाकिस्तानी जवान मारे गए

इसके बाद पाकिस्तानी फौजियों की दूसरी खेप का भी यही हश्र हुआ। इस हमले में 14 पाकिस्तानी जवान मारे गए और 4 व्यक्ति जीवित पकड़े गए। इसके बाद भी एक घंटे तक दोनों ओर से गोली-बारी जारी रही, जिसके दौरान दुश्मन ने पोस्ट पर कब्जा करने के लिए तीन बार प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। सरदार पोस्ट के पूर्वी छोर पर हवलदार भावना राम ने ग्रेनेड से पास आने का प्रयास कर रही दुश्मन फौज पर हमला शुरू कर दिया। उनका यह बहादुरी भरा कारनामा घुसपैठियों के मनोबल को हतोत्साहित करने और उन्हें पोस्ट से दूर रखने में सफल रहा। सीमा पर दुश्मन फौज पर इस तरह से हमला किया गया कि भारी संख्या और बेहतर हथियारों के बावजूद उन्होंने दूसरे हमले का प्रयास नहीं किया। इसी तरह सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी फौजियों को धूल चटा दिया था।

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