आइसीडी में किया गया शामिल
जिनेवा (आइएएनएस)।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अब गेमिंग डिसॉर्डर यानी इंटरनेट गेम से उत्पन्न हुए विकार को मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर अवस्था के रूप में अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (आइसीडी) में शामिल किया है। डब्लूएचओ की ओर से प्रकाशित 'आइसीडी' एक नियमावली है जिसे 1990 में अपडेट किया गया था। इसके नए संस्करण 'आइसीडी-11' में गेमिंग डिसॉर्डर को स्वास्थ्य की एक गंभीर अवस्था के रूप में शामिल किया गया है, जिसमें अत्यधिक निगरानी की आवश्यकता होती है।

हेल्थ सर्विस सिस्टम और काम करने वाले लोग इससे सावधान रहेंगे

डब्लूएचओ ने एक बयान में कहा, गेमिंग डिसॉर्डर को व्यसनकारी विकृति के खंड में शामिल किया गया है। डब्लूएचओ के मानसिक स्वास्थ्य और मादक द्रव्य सेवन से जुड़े विभाग के सदस्य व्लादिमीर पोजन्यक ने 'सीएनएन' को बताया, 'वर्गीकृत किए जाने का मतलब यह है कि हेल्थ सर्विस सिस्टम और काम करने वाले इस अवस्था के प्रति अधिक सावधान रहेंगे। इसके अलावा इस विकार से पीडि़त लोगों को समुचित मदद मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, दुनियाभर के लाखों गेमर की पहचान गेमिंग डिसॉर्डर से पीडि़तों के रूप में कभी नहीं होगी, भले ही वे गेमिंग के प्रति अत्यधिक आसक्त हों क्योंकि यह अवस्था बहुत कम पाई जाती है।

2019 में प्रस्तुत किया जाएगा आइसीडी-11
व्लादिमीर ने कहा, यह नैदानिक (क्लीनिकल) अवस्था है और नैदानिक रूप (क्लीनिकली) से रोग की पहचान तभी हो सकती है जब स्वास्थ्य सेवा के कुशल पेशेवर यह काम करें। मई, 2019 में आयोजित होने वाले विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन में 'आइसीडी-11' को प्रस्तुत किया जाएगा। सदस्य देशों के इसे अपना लेने पर यह एक जनवरी, 2022 से लागू होगा। आइसीडी स्वास्थ्य की प्रवृत्ति की पहचान और दुनियाभर में इसके आंकड़ों का आधार है। इसमें जख्मों, बीमारियों और मौत के कारणों के करीब 55,000 यूनिक कोड हैं। यह स्वास्थ्य सेवा के पेशेवरों को एक समान भाषा प्रदान करता है जिससे वे स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को दुनियाभर में साझा कर सकें।

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