भगवान की सुरक्षा खुद के भरोसे

भगवान का शुक्र है कि शिरडी दून में नहीं है। वरना भगवान की सुरक्षा खुद उनके भरोसे होती। सिटी के मोहब्बेवाला में हुई लाखों की चोरी तो पुलिस पी ही गई थी, अगर वो मामला मीडिया के जरिए सामने नहीं आया होता। पुलिस इसका खुलासा आज करीब एक साल बाद भी नही कर सकी है। राजपुर स्थित प्रसिद्ध सांई मंदिर में हुई बड़ी चोरी की वारदात के बाद भी पुलिस की आंख नहीं खुली। इस बार चोर गैंग ने सहस्त्रधारा स्थित सांई बाबा के बड़े मंदिर पर धावा बोलते हुए कई लाख रुपए का माल चोरी कर लिया।

खतरे में है भगवान

सांई मंदिरों की अकूत संपति पहले भी चोर गिरोहों के निशाने पर रही है। मंदिर में आने वाले हर भक्त चाहे वो अमीर हो या गरीब अपनी श्रद्धा के मुताबिक दान करता है। इसके पीछे उसकी मंशा पुण्य कमाने की रहती है। लेकिन, चोर इसमें भी सेंधमारी करने से बाज नही आते। एक बार घटना को अंजाम देने के बाद उन्हें इतनी रकम मिल जाती है कि, कुछ समय आराम से कट जाए। सहस्त्रधारा रोपवे के ऊपर स्थित इस मंदिर में चोरी की कल्पना किसी ने नहीं ंकी थी। खुद यहां का प्रबंधन भी काफी हैरान है। बताते हैं थर्सडे के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।

सबकुछ ले गए चोर

राजपुर पुलिस के अनुसार चोरों के हाथ महज पचास से साठ हजार रुपए का सामान ही लगा है। शुरू में राजधानी की मित्र पुलिस इससे भी इनकार कर रही थी। पुलिस की मानें तो यहां चोरी का प्रयास ही किया गया है। चोरी हुई नहीं। हालांकि सच्चाई यह थी कि चोर मंदिर से भगवान के सिर पर लगा करीब तीन किलो का मुकुट, साढ़े सात किलो का छत्र व चांदी के अन्य सामान भी ले गए। जिनकी अनुमानित कीमत पांच लाख से ऊपर बताई जा रही है। सबसे अहम बात यह है कि जिस घटनास्थल पर खुद सीओ मसूरी, थाना प्रभारी राजपुर ने मौका मुआयना किया हो वहां भी केस दबाने का प्रयास किया गया ।

कितना मैनेज करोगे मैनेजर साहब

ऊपर से लेकर नीचे तक सभी को मैनेज करने में महारथ रखने वाले जिले के बड़े मैनेजर के लिए इस चोरी को मैनेज करना मुश्किल हो गया। तमाम जतन किए गए। लेकिन सच सामने आ ही गई। अब इस मामले को मैनेज करने के लिए किसी पुलिस कर्मी की बलि चढऩा तय है। न जाने ऐसे कितने ही मामले में महज जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हटाए जा चुके हैं.जबकि, असल वजह कुछ और थी। फिलहाल वेडनेसडे को हुई लाखों की चोरी की वारदात में जिले के सभी छोटे और बड़े मैनेजर फेल हो चुके हैं और सच्चाई।

क्यों टारगेटेड हैं सांई मंदिर  

जिस तेजी से सांई भगवान के फॉलोअर बढ़े हैं, उसी तेजी से मंदिरों का खजाना भी बढ़ा है। माना जाता है कि सांई के दर पर चढ़ावा चढ़ाने वालों की लाइन लगी रहती है। इन चढ़ावों का कोई हिसाब किताब नहीं रहता। कई ऐसे भी हैं जो सांई मंदिर में गुप्त दान में विश्वास रखते हैं। ऐसे में मंदिरों का खजाना लगातार बढ़ता रहता है। देहरादून में जहां पहले एक सांई मंदिर हुआ करता था वहीं पिछले कुछ सालों में कई सांई मंदिर खुल गए है। मंदिरों में सांई की मूर्ति पर सोने और चांदी के छत्रों और गहनों की तादात अच्छी खासी रहती है, यही कारण है कि चोरों की नजर सांई मंदिरों पर टिकी हैं।