1950 में मिला था सुनहरा अवसर

भारतीय फुटबॉल टीम की हालत इस समय कैसी है, यह हम सभी जानते हैं। फीफा रैंकिंग में हमारा 102वां नंबर है। भारत फुटबॉल में हमेशा से इतना पिछड़ा नहीं रहा। 50वें और 60वें दशक की बात करें तो वो भारतीय फुटबॉल का गोल्डन पीरियड कहा जाता है। ऐसा ही एक सुनहरा अवसर आया था साल 1950 में। इसी साल ब्राजील में फीफा वर्ल्ड कप आयोजित किया गया था। दुनियाभर की तमाम टीमों को फुटबॉल के इस महाकुंभ में हिस्सा लेने का न्यौता भेजा गया।

इसलिए भी याद रहेगा साल 1950,जब हमारी फुटबॉल टीम ने वर्ल्‍ड कप के लिए क्‍वालिफाई किया

इस तरह भारत ने किया था क्वालीफाई

सबसे रोचक बात यह थी कि पूरे एशिया से सिर्फ 4 देशों को क्वॉलीफाई राउंड में जाना था। इसमें वर्मा, इंडोनेशिया, फिलीपींस और भारत का नाम था। इन चारों टीमों को आपस में खेलना था और जो सबसे ऊपर होती वह वर्ल्डकप के लिए क्वालीफाई कर जाती। इनकी आपस में भिड़ंत होने वाली ही थी कि, ऐन वक्त पर भारत को छोड़ अन्य तीन देशों ने खुद को इस टूर्नामेंट से बाहर कर लिया। कारण यह था कि, उस वक्त द्वितिश् विश्व युद्ध को खत्म हुए 4 साल ही हुए थे। ऐसे में ये देश आर्थिक रूप से जूझ रहे थे। इनका इतने बड़े टूर्नामेंट में खेल पाना असंभव सा हो गया था। बस फिर क्या, इधर वर्मा, इंडोनेशिया और फिलीपींस के बाहर होते ही भारत खुद-ब-खुद वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर गया।

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जितने के थे पूरे चांस

भारतीय फुटबॉल टीम को ग्रुप 3 में रखा गया जिसमें इटली, पैराग्वे और स्वीडन जैसी टीमें थीं। भारत के लिए ग्रुप मैच जीतना आसान था क्योंकि इटली की टीम इतनी शक्ितशाली नहीं थी। एक साल पहले ही उनके नेशनल फुटबॉल टीम के 8 मुख्य खिलाड़ी एयर क्रैश में मारे गए थे। वहीं टूर्नामेंट से ठीक पहले उनके कोच ने इस्तीफा दे दिया। अब बात पैराग्वे टीम की करें तो उस वक्त उनकी हालात वैसी थी जैसी आज क्रिकेट में जिंबाब्वे की है। तीसरी टीम बची स्वीडन की, जिससे भारत को कड़ी टक्कर मिल सकती थी।

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जूते न होने की वजह से नहीं जा पाए ब्राजील

भारत के लिए यह गर्व की बात थी कि उनकी फुटबॉल टीम वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही। हालांकि यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई। टूर्नामेंट शुरु होने के कुछ दिन पहले ही भारत की फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) ने टीम को ब्राजील भेजने से मना कर दिया। बताया जाता है कि उस वक्त टीम के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह ब्राजील जा सकें। हालांकि फीफा भारतीय फुटबॉल टीम को आने-जाने का किराया देने पर राजी हो गई लेकिन आखिर में एक पेंच और फंस गया। दरअसल भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी नंगे पैर फुटबॉल खेला करते थे जबकि फीफा का नियम था कि उनके सभी टूर्नामेंट में जूते अनिवार्य हैं। बताते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों के पास जूते नहीं थे इसलिए उन्होंने वर्ल्डकप से नाम वापस ले लिया। हालांकि कुछ लोग इस बात को महज अफवाह बताते हैं क्योंकि भारतीय खिलाड़ियों ने प्रैक्टिस नहीं की और वे वर्ल्डकप से ज्यादा ओलंपिक को तरजीह देते थे इसलिए उन्होंने फुटबॉल वर्ल्ड कप खेलने से मना कर दिया।