कानपुर। स्मार्टफोन पर मौजूद ढेरों एप्स न सिर्फ आपके ऊपर इंफॉर्मेशन की बमबारी करते रहते हैं, बल्कि उन सबको बार-बार देखना, अपडेट करना, अपनी प्राइवेसी को बचाना, मोबाइल को सुरक्षित रखना, विज्ञापनों की भरमार से गुजरना, सबके पासवर्ड याद रखना आदि दर्जनों मुश्किलें हैं। जो हर एक एप्स आपके लिए लेकर आता है। इसके अलावा, उन सब पर खर्च होने वाली बैटरी और उन पर बिताया जाने वाला समय भी तो आपके ही खाते में जाता है। इन सबको देखते हुए सुपर एप्स के लिए गुंजाइश तो अच्छी खासी है। आने वाले दिनों में शायद यही होगा कि आपके मोबाइल में महज दो या चार एप्स होंगे और उन्हीं के भीतर सारी सुविधाएं मौजूद होंगी। कंट्रोल भी रहेगा, प्राइवेसी भी, सिक्योरिटी भी और सुविधा भी।

स्‍मार्टफोन पर हर काम के लिए अलग ऐप रखना क्‍यों है जरूरी? अब बदलेगी ऐप की दुनिया

सुपर एप्स हमारे लिए क्यों हैं जरूरी
एक औसत स्मार्टफोन यूजर के फोन में 30 से 150 तक एप्स होते हैं। फिर ऐसे भी बहुत सारे ऐप्स हैं, जिन्हें आप छोटी से छोटी जरूरत पड़ने पर डाउनलोड करते हैं और काम निकल जाने पर अनइंस्टॉल कर देते हैं। इस बात में कोई तुक नहीं है कि छोटा से छोटा काम करने के लिए रोज अलग अलग ऐप डाउनलोड किए जाएं। इंटरनेट एक्सेस में तो ऐसा नहीं है। आप क्रोम, फायरफॉक्स, सफारी, ओपेरा आदि में से कोई एक ब्राउजर इस्तेमाल करते हैं और जिस वेबसाइट पर जाने की जरूरत हो, उसका एड्रेस डालते हैं, बस। आपको हर वेबसाइट तो अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करके इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं पड़ती! तो फिर एप्स के मामले में ऐसा क्यों है।

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ये हैं पॉपुलर सुपर एप्स
चीन में पॉपुलर वीचैट ऐसा अकेला सुपर एप नहीं है, जो वहां के करोंड़ो यूजर्स को एक ही जगह ढेरों सर्विसेज प्रदान करता है। अपने आसपास देखिए तो हम सुपर एप्स की तरफ ही बढ़ रहे हैं। व्हाट्सऐप ने भुगतान की सुविधा भी शुरू कर दी है। एक मैजेंसर एप्लिकेशन अब पेमेंट ऐप का काम भी करने लगा है। उधर, फेसबुक मैसेंजर भी सुपर एप बनने की दिशा में बढ़ रहा है। पिछले दिनों उसने कंपनियों से कहा था कि वे चाहें तो इसके लिए अपने बॉट्स बना सकते हैं। बॉट्स का मतलब ऐसे रोबोटिक ऑब्जेक्ट्स जो मैसेंजर पर आपके संदेशों के खुद ही जवाब देने में सक्षम हैं। अब मैसेंजर के जरिए आप इंटरनेट पर खरीदारी भी कर सकते हैं और भुगतान भी कर सकते हैं। चूंकि यह फेसबुक से जुड़ा हुआ है, तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर फेसबुक मार्केटप्लेस पर आप कोई विज्ञापन देखते हैं तो उसके साथ लगे बाय बटन पर क्लिक कीजिए जो आपको मैसेंजर में ले जाएगा। अब मैसेंजर में ही वह प्रॉडक्ट खरीद लीजिए- बिना फेसबुक से दूर गए। हालांकि भुगतान की यह सुविधा फिलहाल अमेरिका में ही उपलब्ध है, पर आने वाले दिनों में यह सुविधा भारत में भी मिलने की उम्मीद की जा सकती है। भारत में भी कई पॉपुलर ऐप आने वाले दिनों में 'सुपर ऐप' बनने की कोशिश में लगी हुई हैं।

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