- पूरे भारत से मेडिकल पहुंचेंगे डॉक्टर्स ट्रेनिंग लेने के लिए

- ट्रेनिंग के साथ ही डॉक्टर्स ले सकेंगे प्रैक्टिकल नॉलेज

- एनआरपी के तहत किया जाएगा एक ट्रेनिंग सेमिनार

Meerut : मेडिकल में विदेशी डॉक्टर्स दिसंबर माह में इंडियन डॉक्टर्स को ट्रेनिंग के जरिए एक्सपर्ट बनाने वाले हैं। अमेरिका, यूएसए जैसे बाहरी देशों के डॉक्टर्स की ये एनआरपी की टीम चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को और भी स्पेशल बनाने की तैयारी कर रही हैं। दिसंबर माह में होने वाले इस ट्रेनिंग सेमिनार की डेट तो अभी फिलहाल फिक्स नहीं है, मगर इतना तय है कि ट्रेनिंग के बाद यकीनन इंडियन डॉक्टर्स बहुत कुछ नया सीखने वाले हैं।

पूरे भारत से आएंगे डॉक्टर्स

नेशनल रिसेसिटेशन प्रोग्राम के तहत नेशनल लेवल पर होने वाली इस ट्रेनिंग एंड सेमिनार में ऑल इंडिया से सौ के आसपास डॉक्टर्स पार्टीशिपेट करने वाले हैं। ट्रेनिंग के लिए स्पेशल छह डॉक्टर्स की टीम भी एनआरपी से आएगी। टीम के माध्यम से ही डॉक्टर्स को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। इस सेमिनार में न केवल डॉक्टर्स ही भाग लेंगे बल्कि नर्स, स्टाफ, बाल रोग विभाग के अन्य लोगों को भी संबंधित ट्रेनिंग दी जाएगी।

किन परेशानियों को होगा समाधान

ट्रेनिंग में न केवल न्यू बोर्न बेबी के साथ होने वाली समस्याओं को शेयर किया जाएगा। बल्कि बच्चों में आने वाली दिक्कतों जैसे प्री मैच्योर बेबी, बच्चे द्वारा पैदा होने पर न रोने की समस्या आदि जैसी समस्याओं के लिए नए उपाय व नए सुझाव भी दिए जाएंगे।

क्या होगा ट्रेनिंग में

ट्रेनिंग में बताया जाएगा कि डिलीवरी के बाद आने वाले तकलीफें क्या हैं और संबंधित उपाय क्या है। बच्चों में आने वाली नई दिक्कतों पर भी विचार किया जाएगा। रीसेंट एडवांस पर डिस्कशन, लाइव डेमोस्ट्रेशन, विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डिस्कशन होगा। खास बात तो यह है कि इस सेमिनार में न केवल डॉक्टर्स को सिखाया जाएगा, बल्कि डॉक्टर्स से हैंड टू हैंड प्रैक्टिकल भी करवाया जाएगा। प्रैक्टिकल के जरिए यह भी चेक किया जाएगा कि आखिरकार डॉक्टर्स ने क्या नया सिखा है और उनके सीखने में अभी कितनी कमी रह गई है। जो भी कमियां होंगी उन्हें हाथ के हाथ सुधार भी करने का प्रोग्राम टीम ने बनाया हुआ है।

ये सेमिनार मेडिकल कॉलेज, मेडिकल व एनआरपी की टीम मिलकर कर रही है। दिसंबर के फ‌र्स्ट वीक में ही इसकी डेट रखी जाएगी। मेडिकल को हाईटेक बनाने के लिए ही इस तरह के सेमिनार करवाए जाते हैं।

-डॉ। अमित उपाध्याय

एचओडी, बच्चा वार्ड