इसके लिए कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने गुरुवार को वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की है। समाचार एजेंसी पीटीआई का कहना है कि प्रधानमंत्री पुराने टैक्स मामलों को फिर खोलने और निवेशकों को डराने वाले जनरल एंटी एवाइडेंस रूल्स (जीएएआर) जैसे नियमों को ठंडे बस्ते में डाल सकते हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को इस दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं।

स्पष्टीकरण

कैबिनेट से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए वित्त सचिव आरएस गुजराल ने कहा कि ‘पीएमओ कुछ मामलों पर स्पष्टीकरण’ चाहता है। गुजराल ने कहा, “पीएमओ ने टैक्स के मामले में वित्त मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है कि किस कारण विकास दर प्रभावित हुआ है। वो खासकर आयकर के धारा 9 के बारे में जानना चाहते हैं। हमने इस सवाल का जवाब देने के लिए दो-तीन हफ्ते का समय मांगा है.” आयकर का यही वो धारा है जिसमें वोडाफोन पर 20 हजार करोड़ रुपए की देने का आदेश दिया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन के पक्ष में फैसला दिया है।

इसी गहमा-गहमी के बीच गुरुवार को वोडाफोन इंडिया के अध्यक्ष अनलजीत सिंह ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया से मुलाकात की। हालांकि वित्त सचिव आरएस गुजराल ने इससे इनकार किया है कि पीएमओ की तरफ से जीएएआर को रोकने के बारे किसी तरह का कोई दिशा-निर्देश मिला है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार इसे लंबे समय तक लटका कर रखना चाहती है।

जीएएआर के मामले पर वित्त सचिव गुजराल ने कहा, “उसे रोकने की कोई मंशा नहीं है, हमने जनता से इस मामले में प्रतिक्रिया जाननी चाही थी, वो हमें मिल गई है। इससे जुड़े अन्य लोगों से भी हमने तीन बार बातचीत की है, अब यह ड्राफ्ट बनकर तैयार है.”

नया ड्राफ्ट

गुरुवार की रात केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विदेशी पूंजीनिवेशकों की गलतफहमी दूर करने के लिए आनन-फानन 23 पेज का एक ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें जीएएआर में आयकर के धारा 101 को ध्यान में रखकर उदाहरण देते हुए बताया है कि किस तरह कानून के तहत छूट मिल सकती है।

वर्ष 2012-13 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने न सिर्फ जीएएआर लाने की घोषणा की थी बल्कि वित्त विधेयक में इसका प्रावधान भी कर दिया था। इसके कारण वोडाफोन सरीखे पुराने टैक्स मामलों को फिर से खोला जा सके। इसे विदेशी निवेशकों और उद्योग जगत की तीखी प्रतिक्रिया के बाद पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एक साल के लिए टाल दिया था।

लेकिन पुराने टैक्स मामले खोलने का प्रावधान बनाए रखकर वोडाफोन को राहत देने से मना कर दिया था। माना जाता है कि सरकार के इस फैसले के बाद से देश में संस्थागत निवेश में काफी कमी आई है।

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