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PATNA: बिजली विभाग पटनाइट्स को एक बार फिर जोर का झटका देने वाला है। पटना के 8 लाख घरों में डिजिटल मीटर निकालकर प्रीपेड लगाने की तैयारी विभाग कर चुका है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में सामने आया कि 2014 से अब तक दो बार मीटर बदले जा चुके हैं और एक बार फिर मीटर बदलने की तैयारी हो चुकी है जिसका भार सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। नए मीटर के बदले विभाग कस्टमर से हर महीने रेंट के रूप में 75 रुपए वसूलेगा। इसका फायदा उपभोक्ताओं को तो नहीं लेकिन विभाग को जरूर होगा क्योंकि विभाग नए मीटर लगाने के एवज में उपभोक्ताओं से हर महीने लगभग 6 करोड़ रुपए की वसूली करेगा।

काम के लायक है डिजिटल मीटर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब बिजली विभाग के अधिकारियों से पूछा कि डिजिटल मीटर को निकालने के बाद क्या किया जाएगा तो उन्होंने कहा, इसके लिए अभी कोई प्लानिंग नहीं है। डीजे आई नेक्स्ट की पड़ताल में पता चला है कि पिछले साल ही डिजिटल मीटर लगाए गए थे और ये मीटर अभी भी काम करने की स्थिति में है। ऐसे में इसे निकालकर प्रीपेड मीटर लगाने के पीछे का मकसद सिर्फ बिजली विभाग को लाभ देना है।

कब-कब बदला गया मीटर

यदि बिजली के मीटर के इंस्टॉलेशन की

बात करें तो पता चलता है 2014 से अब

तक दो बार मीटर बदल चुके हैं। 2014 में

रीमोट रीडिंग मीटर लगाया गया था। इसके बाद 2017 में स्मार्ट डिजिटल मीटर लगाया गया। अब प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी शुरू हो गई है।

उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ

फिलहाल पटना के सभी के घरों में डिजिटल मीटर लगे हैं। इस साल के सितंबर से प्रीपेड मीटर लगाने की योजना आरंभ हो जाएगी, जो पटना शहरी क्षेत्र से शुरूआत होगी। इसके अलावा अन्य बड़े जिलों में इसे लागू किया जाएगा। वर्तमान में डिजिटल मीटर का हर माह रेंट 50 रुपए है, जो कि नए प्री पेड मीटर लग जाने पर 75 रुपए हो जाएगा। इसका भार सीधे आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

-कबाड़ की तरह फेंक दिए गए हैं डिजिटल मीटर

बिजली विभाग के सूत्रों ने बताया कि घरों से करीब छह हजार डिजिटल मीटर निकालकर बिजली विभाग के मैंगल्स रोड स्थित ऑफिस में कबाड़ की तरह फेंक दिए गए है। विभाग का कहना है कि ये डिजिटल मीटर हाल ही में खोले गए हैं, जिसे आदेश मिलने पर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। विशेष तौर से इसका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में करने पर विचार किया जा रहा है। जानकारी हो कि ये बिजली मीटर इलेक्ट्रॉनिक कचरा है जिसका विधिवत तरीके से निपटान होना चाहिए।