केस -1

गोरखनाथ इलाके के रहने वाले फखरे आलम ने छह माह पहले अपने लाइसेंस को हैवी करवाने के लिए आरटीओ में आवेदन किया था। जिसके बाद आरटीओ ऑफिस में सारे प्रॉसेस तो पूरे कर लिए गए लेकिन उनका ड्राइविंग लाइसेंस आज तक उनके घर नहीं पहुंचा। जिसके बाद से ही वो लगातार आरटीओ ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं। हर दिन कल पहुंच जाएगा वादा कर कर्मचारी उन्हें वापस कर देते हैं। जबकि गाड़ी चलाकर ही वे अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। लाइसेंस न मिलने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

केस-2

मोहद्दीपुर इलाके के राहुल गुप्ता ने दो महीने पहले लाइसेंस की सारी प्रक्रिया आरटीओ ऑफिस में जाकर पूरी कर ली थी। जिसके बाद उनसे कहा गया था कि एक सप्ताह में उनके घर लाइसेंस पहुंच जाएगा। लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी उनका ड्राइविंग लाइसेंस घर नहीं पहुंच पाया। राहुल का कहना है कि कई बार आरटीओ ऑफिस के जिम्मेदारों से बातचीत कर अपनी समस्या से अवगत भी कराया लेकिन अभी तक केवल आश्वासन ही मिला। ड्राइविंग लाइसेंस दो माह बाद भी नहीं मिला।

केस-3

बशारतपुर इलाके के रहने वाले राहुल श्रीवास्तव ने गोरखपुर रोडवेज की बसों में चलने के लिए एमएसटी के लिए दो माह पहले आवेदन किया था। लेकिन रोडवेज प्रशासन की सुस्त चाल की वजह से आज तक उनका एमएसटी नहीं बन पाया है। इसके लिए राहुल ने कई बार रोडवेज पहुंच कर क्वेरी भी की तो पता चला कि बैंक से पोस्ट करने में देरी हो रही है। ऐसे कई मामले हैं जिनमें लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देता है। जबकि एमएसटी पहुंचने में एक माह से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए।

GORAKHPUR: पब्लिक को परेशानी न हो इसके लिए सरकारी विभागों के सभी काम डिजिटल और ऑनलाइन हो गए हैं। शासन भी इसके लिए बजट से लगाए जरूरी समान सरकारी दफ्तरों को उपलब्ध करा रहा है। लेकिन शासन के तमाम प्रयासों पर आज भी सरकारी दफ्तरों में बैठे जिम्मेदार पानी फेर रहे हैं। गोरखपुर के आरटीओ और परिवहन विभाग की स्थिति को ही देखा जाए तो वहां के ज्यादातर काम ऑनलाइन हो गए हैं लेकिन इसके बावजूद दफ्तर में बैठे जिम्मेदार काम में लापरवाही कर रहे हैं जिससे पब्लिक को ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

कठिन है ड्राइविंग लाइसेंस की राह

आरटीओ ऑफिस में जहां पहले लाइसेंस के लिए लंबी-लंबी लाइनें दिखाई देती थीं। वहीं अब शासन द्वारा लाइसेंस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के बाद भीड़ में कमी आई है। लेकिन इसके बाद भी समय से ड्राइविंग लाइसेंस घर नहीं पहुंच रहा है। जिसकी वजह से आरटीओ ऑफिस में परेशान लोग क्वेरी करने पहुंच रहे हैं। वहीं आरसी चालान, परमिट सहित कई और कामों के लिए भी पब्लिक को आज भी आरटीओ ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

बॉक्स

रोडवेज एमएसटी भी दे रही टेंशन

गोरखपुर में रोज बस यात्रा करने वालों के लिए एमएसटी बनवाना किसी पहाड़ से कम नहीं है। पैसा बचाने की चाहत रखने वाले एमएसटी के लिए आवेदन तो कर रहे हैं। लेकिन एमएसटी मिलने में तीन महीने से भी ज्यादा समय उनके पसीने छुड़ा दे रहा है। रोडवेज पर एमएसटी बनवाने पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया कि एक महीने के लिए एमएसटी बनवाने के लिए आवेदन किया था। लेकिन ढाई महीने बीतने के बाद भी एमएसटी नहीं बन पाई। अब बनेगी भी तो वो मेरे किसी काम की नहीं रहेगी।

फैक्ट फिगर

ड्राइविंग लाइसेंस घर पहुंचने का समय- एक हफ्ता

इस समय पहुंचने में लग रहा समय- 3-4 महीने

हर दिन आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस के लिए पहुंचते हैं लोग- लगभग 300

रोडवेज में हर दिन एमएसटी के लिए पहुंचते लोग- 50-60

शहर में व्हीकल

ट्रांसपोर्ट व्हीकल - 27029

नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल - 732563

कॉमर्शियल व्हीकल- 16371

फोर व्हीलर- 44899

वर्जन

इधर लगातार पोस्ट ऑफिस में हड़ताल होने की वजह से ड्राइविंग लाइसेंस पहुंचने में देरी हुई है। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी।

- भीमसेन सिंह, आरटीओ