लक्ष्य ये है कि इसे 1750 रुपए में बच्चों को उपलब्ध करवाया जाए हालांकि इसे बनाने की लागत लगभग दोगुनी है। यूँ तो भारतीय बाज़ार में आईपैड है, भारती एयरटेल, रिलायंस जैसी कंपनियों के टैबलेट उपलब्ध हैं। लेकिन टैबलेट आकाश का मकसद कुछ और है।

मानव संसाधन मंत्रालय अपने सस्ते टैबलेट को लाखों विद्यार्थियों को मुहैया करवाना चाहता है ताकि वे शैक्षणिक सामग्री डाउनलोड कर सकें और आईटी क्षेत्र से जुड़ सकें।

इस मौके पर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, “आज हमने वो किया है जिसे असंभव कहा जा रहा था। ये टैबलेट केवल भारतीय विद्यार्थियों तक सीमित नहीं है। हम चाहते हैं कि दुनिया भर के वो बच्चे और लोग जो इंटरनेट से महरूम हैं वो सशक्त हो सकें, दुनिया भर की जानकारियों तक उनकी पहुँच बने.”

टैबलेट आकाश को भारत के शीर्ष आईटी कॉलेजों ने विकसित किया है और इसका निर्माण विदेशी कंपनी डाटाविंड ने ये बीड़ा उठाया। बाद में भी ये कम्प्यूटर भारत में ही एसेंबल किया जाएगा।

ख़ूबियाँ और ख़ामियाँ

अब बात करते हैं कि इस टचस्क्रीन टैबलेट के फ़ीचर की इसमें 256 मेगबाइट रैम है, दो जीबी का एसडी मेमरी कार्ड है, 32 गीगाबाइट की मेमरी विस्तार क्षमता है और दो यूएसबी पोर्ट हैं। यह गूगल के एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर काम करेगा। इसमें आप पेन ड्राइव,वेबकैम, डोंगल लगा सकते हैं और वाईफ़ाई कनेक्टिविटी का विकल्प भी है।

कुछ साल पहले भारत ने दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाई थी पर उसे मनचाही सफलता नहीं मिल पाई थी। सवाल ये है कि क्या कि क्या सबसे सस्ता टैबलेट आकाश ज़मीनी स्तर पर कारगर साबित हो पाएगा ? इसकी क्या ख़ूबियाँ और ख़ामियाँ हैं।

बीजीआर.इन में तकनीकी मामलों के पत्रकार रजत अग्रवाल बताते हैं, "ये बात सही है कि इस टैबलेट में सबसा बढ़िया हार्डवेयर नहीं है। जैसे इसमें मेमरी कम है, प्रोसेलर धीमा है, बैटरी तीन घंटे चलेगी, टचस्क्रीन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है लेकिन जिस क़ीमत में सरकार टैबलेट बनाना चाहती है इसमें इतना ही मिल सकता है."

लेकिन रजत के मुताबिक इस टैबलेट में कई ख़ूबियाँ भी जुड़ी हैं। वे कहते हैं, “ये एक बड़ी सरकारी योजना है, इस टैबलेट से शिक्षा स्तर में सुधार आ सकता है। सरकार शैक्षणिक सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक फ़ॉर्मेट में तब्दली करेगी, बच्चों को भारी भरकम किताबें नहीं उठानी पड़ेंगी। लाइब्रेरी नहीं जाना पड़ेगा। किसी भी टैबलेट या कम्प्यूटर पर वे पढ़ाई की सामग्री पढ़ सकेंगे। पढ़ाई का तरीका इंटरएक्टि हो जाएगा.”

अभी ये टैबलेट ट्रायल दौर में है। इसे कुछ छात्रों और ट्रेनरों में बाँटा गया है जो इसका इस्तेमाल करेंगे। 45 दिनों बाद इसके प्रदर्शन पर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उस अनुसार आकाश में बदलाव किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य स्कूली बच्चों के लिए एक करोड़ टैबलेट उपलब्ध करवाना है। ज़ाहिर है आने वाले दिनों में सबकी निगाहें आकाश पर रहेंगी कि क्या ये वाकई ई-सशक्तिकरण में ऊँचाइयाँ छू पाएगा या नहीं।

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