इस साल वर्किंग टूगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड की थीम पर होगा दिवस
ओपीडी में रोजाना पहुंचते हैं 8-10 मानसिक रोगी
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MEERUT : जिंदगी बहुत खूबसूरत है, उसे जिंदादिली से जीना चाहिए। जो लोग जिंदगी को कमजोर मान लेते हैं, वही उसे खत्म करने का प्रयास करते हैं। बदलते लाइफ स्टाइल के साथ ही लोगों में सुसाइड करने की प्रवृत्ति भी तेजी से विकसित हो रही है। छोटी-छोटी बातों से शुरू होने वाले तनाव में आकर मौत को गले लगाने से किसी बात का हल नहीं होता। इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए आज दुनियाभर में वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया जाएगा। डब्लयूएचओ की ओर से इस साल वर्किंग टूगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड की थीम पर यह दिवस आयोजित होगा।
यह है स्थिति
500 से अधिक मरीज रोजाना शहर के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में मनोचिकित्सक के पास पहुंचते हैं।
50 से अधिक मरीज रोजाना मरने की बात करते हैं।
50 से 70 मरीज तकरीबन जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना पहुंचते हैं।
200 से 250 मरीज मेडिकल कॉलेज की मेंटल हेल्थ ओपीडी में पहुंचते हैं।
60 से 70 प्रतिशत मरीज मेंटल डिसआर्डर के शिकार होते हैं।
आत्महत्या दो तरह की होती है। पहली पूर्व निर्धारित, दूसरा इमोशनल सुसाइड।
सबसे ज्यादा आत्महत्या मानसिक रोगियों के द्वारा की जाती है।
15 से 30 साल के लोगों में सुसाइड करने की प्रवृति सबसे ज्यादा होती है।
2003 में वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की शुरुआत की गई थी।
समय रहते इलाज
क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट डॉ। विभा नागर के अनुसार दिमाग में डोपामाइन और सेरोटोनिन हार्मोन का लेवल कम होने पर इंसान में अवसाद, मानसिक रोग, दिमागी बीमारी, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, तनाव, नशे की आदत आदि पैदा होती है और आत्महत्या की वजह बन जाती है लेकिन समय रहते इलाज देकर इसे रोका जा सकता है।
नई रुचियों और काम में मन लगाने के साथ अच्छे मददगार दोस्त बनाएं। मन की दुविधाओं को डायरी में लिखें। सुसाइड करना किसी समस्या का हल नहीं होता है। किसी व्यक्ति में ऐसी प्रवृत्ति विकसित हो रही है तो उसे साइकेट्रिस्ट को जरूर दिखाना चाहिए।
डॉ। कमलेंद्र किशोर, साइकेट्रिस्ट, जिला अस्पताल