- 40 फीसदी उपभोक्ताओं को पकड़ा दिया गया है गलत बिल

- बिल सही कराने के लिए लगा रहे विभाग के चक्कर

केस 1:

आसपुर गांव निवासी हसन अली जिनका एक किलोवॉट का बिजली कनेक्शन है। पिछले दो माह से उनके घर में ताला लटका हुआ है। वह प्रॉपर हर माह बिल प्रॉपर जमा करते हैं। लखनऊ से लौटकर वापस घर आए, तो 6600 रुपए का बिल देखकर चौंक गए। इसके बाद अधिकारियों के चौखट पर बिल की त्रुटि सही कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं।

केस नं.2--

बेहटा कला की रहने वाली गीतादेवी एक किलो वॉट का घरेलू कनेक्शन लिया है। इन्होंने फरवरी 2016 में बिल जमा किया था। इनके पुत्र सोमबीर ने बताया कि इस बार दो वर्ष का बिल 83 हजार रुपया आ गया है। जो कि छह माह पहले जमा किया था जो इस पर अंकित ही नहीं है। बताया कि बिना मीटर के इतना लम्बा बिल कैसे आया। इसे सही कराने के लिए पिछले 15 दिनों से चक्कर लगा रहा हूं।

केस नं। 3-

नदौसी के रहने वाले देवेंद्र ने बताया कि हर बार की अपेक्षा इस बार बिली बहुत ही गलत आया है.छह माह का बिली 38 हजार रुपया भेजा गया है। जो कि हमने एक किलो वॉट का कनेक्शन लिया है। इसके पहले बिल तीन माह का 1555 रुपया आता था। पिछले तीन माह से कोई मीटर रीडिंग भी नहीं की गई।

केस नं। 4-

पस्तोर के रहने वाले प्रेमराज ने बताया कि पिछले वर्ष मेरा बिजली का जो भी बकाया था उसके 23अप्रैल 2017 में जमा कर दिया था। इसके बावजूद दस नौ माह का मेरा बिजली का बिल 10,029 रुपये आया है। हमने 11 सौ यूनिट बिजली खर्च की है

केस नं.5-

शिकार पुर के वसीर अहमद का भी बिल गलत आ गया है। यह हर माह बिल जमा करने वाले उपभोक्ता है। इन्होंने बताया कि एक किलो वॉट हमने कनेक्शन लिया है। दो माह में बिल जमा करता था। सात से आठ सौ रुपया आता था। इस बार मीटर रीडिंग भी नहीं हुई और दो माह का बिल 3495 आया है।

Bareilly: यह पांच केस तो बिजली विभाग की लापरवाही का एक नमूना भर है। बिजली ऑफिस में बिल करेक्शन के लिए हर रोज दर्जनों उपभोक्ता अधिकारियों के चक्कर काटते हैं, लेकिन इनकी समस्याओं का समाधान अफसर नहीं तलाश पा रहे हैं। लिहाजा, कंज्यूमर बिना गलती समय के साथ रुपए भी जाया कर रहे हैं।

एजेंसी को सौंपा था काम

अर्बन एरिया में 1.88 लाख उपभोक्ता हैं, जिनकी मीटर रीडिंग के लिए बिजली विभाग ने एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी थी। 1500 कनेक्शन पर एक कर्मचारी की नियुक्ति मीटर रीडिंग के लिए की जानी चाहिए थी, लेकिन एजेंसी ने जरूरत से कम कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। नतीजा यह है कि एक घर की मीटर रीडिंग 3 महीने से पहले नहीं हो पाती है। इसके अलावा कर्मचारी मीटर रीडिंग लेने जाने की बजाय घर बैठे बिल बना देते हैं, जिसका खामियाजा पब्लिक भुगत रही है।

40 परसेंट बिल संशोधन के मामले

डिवीजन एक स्थित बिलिंग काउंटर पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम पहुंची तो करीब ढाई सौ लोग बिल जमा करने की लाइन में खड़े थे। इनमें करीब 40 परसेंट उपभोक्ताओं की प्रॉब्लम बिल में संशोधन की थी। वह इसके लिए पिछले कई दिनों से चक्कर लगा रहे थे, लेकिन राहत नहीं मिल पा रही है।

प्वाइंटर-

डिवीजन-चार

उपकेंद्र -19

सर्किल -एक

उपभोक्ता-1.88 हजार

एक किलो वॉट बराबर एक हजार वॉट होता है।

-मीटर की रीडिंग करने के लिए तीन एजेंसियों को लगाया गया था।

बिजली की कीमत-- प्रति यूनिट

-1यूनिट से 50यूनिट तक तीन रुपया

-51 से150 यूनिट तक 3रुपया 90पैसा

-151से 350यूनिट तक 4रुपया 90पैसा

मीटर लगा है और बिजली की खपत नहीं हो रही है तो 80 रुपया प्रति माह उपभोक्ता को देना होगा।

बिना मीटर के बिजली का उपयोग हो रहा है तो 417 रुपया प्रति माह कनेक्शन धारक को देना होगा।

वर्जन-

बिजली के बिल में गलती की सूचना अधिक मिल रही है। उसे दुरुस्त कराने का प्रयास चल रहा है। किस कारण से गलत बिल भेजा गया इसकी जांच होगी। एजेंसियों को यह काम सौंपा गया था, लेकिन वह ठीक से काम नहीं कर पाई हैं। अब दूसरी एजेंसी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।

एसके सक्सेना, चीफ इंजीनियर, बरेली