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KANPUR : अगर आप भी खर्चीले स्वभाव के हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। क्योंकि आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग ने अनाप-शनाप पैसा खर्च करने वालों पर अपनी पैनी निगाह गड़ा दी है। बैंक्स में होने वाले ट्रांजेक्शन, शॉपिंग, वेहिकल्स की खरीददारी के अलावा देश-विदेश घूमने वालों की डिटेल डेली बेसिस पर चेक करवाई जा रही है। इस बात का खास तौर पर पता लगवाया जा रहा है कि विभिन्न मदों में खर्चा होने वाली रकम किसी पार्टी या नेता की तरफ से स्पॉन्सर तो नहीं की जा रही है।

भ्0 हजार से ऊपर का सेप्रेट रिकॉर्ड

शहर की ब्म् सरकारी-प्राइवेट बैंक्स की सभी शाखाओं को मिलाकर रोजाना करीब एक हजार करोड़ का लेनदेन होता है। मगर, चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद से इस लेनदेन का लेखाजोखा आयोग के ऑब्जर्वर्स की नजर में है। यूपी बैंक इम्प्लॉईज एसोसिएशन के कमलेश चतुर्वेदी ने बताया कि हर एक बैंक में भ्0 हजार से कम और इससे ज्यादा निकासी-जमा करने वाले कस्टमर्स की अलग-अलग लिस्ट बनाई जा रही है। हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन करने वालों का आईडी प्रूफ भी सबमिट करवाया जा रहा है। इससे पैसों का लेनदेन करने वालों का आसानी से ट्रेसआउट किया जा सकेगा।

पेमेंट मोड की पड़ताल

चुनाव के दौरान 'स्पॉन्सरशिप' करने वालों का बोलबाला रहता है। इसीलिए देश-विदेश घूमने वालों पर भी खास नजर रखी जा रही है। टूर एंड ट्रैवल कम्पनियों से इस संबंध में डाटा भी मांगा गया है। इसकी मदद से यह पता लगाया जा रहा है कि टूर पैकेज बुक कराने के लिए कस्टमर ने पेमेंट किस मोड में जमा कर रहे हैं। यानि पेमेंट कैश में हुआ है या फिर चेक के जरिए। इलेक्शन ऑफिसर्स के अनुसार हाई-वैल्यू टूर पैकेजेज की डिमांड इंडिया व एब्रॉड दोनों के लिए रहती है। पहली बार महंगा टूर पैकेज बुक कराकर घूमने वालों से जरूरत पड़ने पर पूछताछ भी की जा सकती है।

टू-व्हीलर, फोर-व्हीलर खरीद पर

फेस्टिव सीजन में वेहिकल्स की परचेजिंग तो समझ में आती है, लेकिन एकाएक चुनावी सीजन में गाडि़यों की बल्क में बुकिंग करने वाले वाहन डीलर्स पर नजर है। यहां बुकिंग किसने करवाई, पेमेंट किस-किस के नाम पर किया गया है.ऐसी तमाम जानकारियों का ब्यौरा आरटीओ से निकलवाया जा रहा है। अहम बात यह है कि बाइक या कार खरीदने वालों का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड भी दिखवाया जा रहा है। वो यह कि जिसके नाम पर गाड़ी इश्यू हुई है, उसके पास पहले से कोई गाड़ी है भी या नहीं

बल्क मार्केटिंग-शॉपिंग पर भी

शॉपिंग करना कई लोगों का शगल है। मगर, अहम बात यह है कि बल्क मार्केटिंग और शॉपिंग हर किसी के बस की बात नहीं। इसी कड़ी में बाजार और मॉल में अंधाधुंध शॉपिंग करने वालों पर आयोग अपनी नजर रखनी शुरू कर दी है। डेबिट-क्रेडिट कार्ड या प्री-पेड शॉपिंग कार्ड के जरिए शॉपिंग के अलावा कैश में खरीददारी करने वाले ग्राहक चुनाव आयोग के निशाने पर हैं। कार्ड स्वाइप करवाकर शॉपिंग करने वालों की डिटेल बैंक्स से कलेक्ट करवाई जा रही है।

ऑफ द रिकॉर्ड

खबर है कि चुनाव आयोग की पैनी नजर के चलते विभिन्न पार्टियां और उनके उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने की तैयारी में हैं। एक नजर ऐसी ही जानकारियों पर

बंटने वाली हैं फ्00 बाइक्स

चुनाव से ऐन पहले एक पार्टी के उम्मीदवार शहर में लगभग फ्00 बाइक बंटवाने की जुगत में हैं। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में एजेंसी ओनर्स से रेट लिस्ट भी तय कर ली गई है। शक न हो इसलिए बाइक के मॉडल, डिजाइन और कलर भी अलग-अलग बंटवाये जाने की तैयारी है।

एक नोट की दरकार

एक पार्टी ऐसी भी है जो खास ढंग से चंदा इकट्ठा करने में जुटी है। पार्टी के कार्यकर्ता 'एक वोट, एक नोट' की आवाज बुलंद किये हुए हैं।

कद के हिसाब से रेट तय

एक नेताजी चुनाव में चंदा वसूलने में लगे हैं। सोर्सेज का कहना है कि शहर के बड़े व्यापारियों के कद के अनुसार उन्होंने रेट भी तय कर दिये हैं। जैसा कारोबार का टर्नओवर, चंदे की रकम भी उसी हिसाब से।

मीडिया से मिलती है हर खबर

आखिर आयोग को आचार संहिता उल्लंघन या चुनाव संबंधी खबरें मिलती कैसे हैं? यह सवाल आपके मन में भी आता होगा। चलिए हम बताते हैं आपको यह पूरा प्रॉसेस। दरअसल, आयोग ने मीडिया सर्टीफिकेशन एंड मॉनिटरिंग सेल यानि (एमसीएमसी) का कंट्रोल रूम कलक्ट्रेट में सेटअप किया है। अखबारों में प्रिंट होने वाली चुनाव संबंधी हर खबर की कटिंग को ऑनलाइन-ऑफलाइन इलेक्शन ऑफिसर्स को भेजा जाता है। इन्हें संज्ञान लेकर चुनाव अधिकारी आगे की कार्यवाही करते हैं।

'हमारा मुख्य काम मीडिया में आने वाली सभी खबरों को आयोग तक पहुंचाने का है। आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी डेली बेसिस पर आयोग को ईमेल और अखबारों की कटिंग भेजकर देनी होती है। यह काम लगातार चालू रहता है। '

- अश्फाक खान, हेड, एमसीएमसी

'भ्0 हजार से ज्यादा की रकम का लेनदेन करने वालों की अलग से लिस्ट बनाई जा रही है। चुनाव आयोग जब चाहेगा तब हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन करने वालों के बारे में जानकारी कर सकता है।

- कमलेश चतुर्वेदी, यूपी बैंक इम्प्लॉईज एसोसिएशन

'इंटरनेशनल टूर पैकेज में तो आईटीआर, पैन कार्ड ऑटोमेटिकली लगता है। लेकिन लोकल लेवल पर जो कस्टमर कैश पेमेंट के जरिए बुकिंग करवा रहे हैं, उनसे पैन कार्ड की फोटोकॉपी अनिवार्य रूप से जमा करवाई जा रही है। इसकी डिटेल आईटी डिपार्टमेंट के पास रेगुलर बेसिस पर पहुंचाई जाती है। '

- मो। रईस कुरैशी, रीजनल मैनेजर, टी-प्लस टुअर इंडिया