मुंबई (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट में युवराज सिंह के योगदान को उनकी कोई एक पारी बयां नहीं कर सकती। लेकिन अगर विश्व क्रिकेट की बात करें तो 2011 विश्वकप में उनका दमदार प्रदर्शन शायद ही कोई भूल सकता है। और जिस खिलाड़ी ने भारत को दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतने में बेहद ज़रूरी भूमिका निभाई आज वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले रहा है।

संन्यास की लग रही थी अटकलें

लंबे समय से भारतीय क्रिकेट से दूर रहे युवराज संन्यास लेने की सोच रहे थे। अब यह कहा जा रहा है कि संन्यास के बाद वे आईसीसी से मान्यता प्राप्त विदेशी टी20 लीग्स में फ्रीलान्स क्रिकेटर के रूप में खेल सकते हैं।

युवराज सिंह के क्रिकेट करियर के वो पल जिन्‍हें हर इंडियन क्रिकेट फैन याद रखेगा

लंबे समय से युवी हैं इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर

उन्होंने भारत के लिए आखिरी टेस्ट मैच साल 2012 में खेला था और वनडे सीरीज में वे आखिरी बार 2017 में नज़र आए थे। आईपीएल 2019 के नीलामी में उन्हें लगभग किसी टीम ने नहीं खरीदा था लेकिन आखिरी वक्त पर मुंबई इंडियंस ने उन्हें उनके बेस प्राइस पर खरीद लिया था। मुंबई इंडियंस के लिए उन्होंने सिर्फ चार मैच खेले जिसमें उन्होंने एक अर्धशतक के साथ सिर्फ 98 रन ही बनाए।

आइये जानते हैं युवराज के करियर के कुछ हाइलाइट्स

37 साल के युवराज ने 2011 विश्व कप में 362 रन बनाए थे , जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल थे। इसके साथ ही गेंदबाज़ी करते हुए उन्होंने 15 विकेट चटकाए थे। इस टूर्नामेंट में उन्हें चार 'मैन ऑफ़ द मैच' अवार्ड्स और 'प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट' अवार्ड जीता था। ऐसा करते हुए वे विश्व कप के इस संस्करण के पहले ऐसे ऑल  राउंडर बन गए थे जिन्होंने 300 से ज़्यादा रन बनाए और 15 विकेट हासिल किए थे।

6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड

वर्ल्ड कप के अलावा उनके करियर के एक और हाईलाइट की बात करें तो 2007 में साउथ अफ्रीका में खेले गए पहले टी 20 वर्ल्ड कप के पहले मैच में साउथ अफ्रीका में उन्होंने लगातार 6 छक्के लगाए थे। और इंडिया के सुपर 8 मैच में इंग्लैंड के खिलाफ डरबन में उन्होंने स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ही ओवर में 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड बनाया था। ऐसा करते हुए वे किसी टी 20 मैच और किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में सिर्फ 12 गेंदों पर सबसे तेज़ अर्धशतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। साल 2002 में लॉर्ड्स में खेले गए नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मैच में उनकी पारी को कोई कैसे भूल सकता है? इस मैच में इंग्लैंड जीत रहा था क्यूंकि इंडियन टॉप आर्डर फ्लॉप हो चुकी थी। लेकिन मोहम्मद कैफ के साथ पार्टनरशिप करते हुए युवी ने ये मैच इंडिया के नाम कर दिया था। इसी मैच में कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी जर्सी उतारकर ख़ुशी से हवा में लहराई थी।

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बीमारी की वजह से करियर में आई गिरावट

विश्व कप के बाद उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा था। दरअसल उनके बाँय फेफड़े में ट्यूमर का पता चला था जिसके कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट  के लिए वे अमेरिका के बॉस्टन और इंडियनापोलिस गए थे। ठीक होने के बाद उन्होंने इंडियन क्रिकेट टीम में वापसी तो की लेकिन उनकी ज़िन्दगी अब पहले की तरह नहीं रही और वो टीम के ऑन एंड ऑफ मेंबर की तरह ही रह गए।

कुछ यूं रहा युवी का करियर

अपने इतने लम्बे करियर में युवी ने 40 टेस्ट मैच ,304 वनडे इंटरनेशनल और 58 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। टेस्ट मैच में उन्होंने कुल 1900 रन बनाए हैं। वहीं वनडे मैच में उन्होंने 8701 रन बनाए हैं। टी 20 मैच की बात करें तो उन्होंने इस फॉर्मेट में 1177 रन बनाए हैं। साल 2012 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाज़ा गया था। इसके दो साल बाद उन्हें पद्मश्री अवार्ड भी मिल चुका है। 2014 के आईपीएल नीलामी में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें सबसे ज़्यादा दाम यानी 14 करोड़ में खरीदा था। और 2015 में दिल्ली डेयरडेविल्स की फ्रैंचाइज़ी ने उन्हें 16 करोड़ में खरीदकर सबसे महॅंगा खिलाडी बना दिया था।

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