जेड प्लस सिक्योरिटी में सरकारी आवास देने का नहीं है कोई नियमछह में से पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास है जेड प्लस सिक्योरिटी कवरसबसे कमजोर कड़ी नारायण दत्त तिवारी, हालांकि राज्य अतिथि का है दर्जापांच के पास जेड प्लस सिक्योरिटी

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लखनऊ। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिह यादव ने अपना और अखिलेश यादव का बंगला खाली करने को लेकर जेड प्लस सिक्योरिटी कवर का हवाला दिया था। जानकारों की मानें तो यदि पूर्व मुख्यमंत्री इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं तो इसका अदालत के आदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं पूर्व सीएम और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपना कालीदास मार्ग स्थित अपना बंगला खाली करने की पहल करेंगे हैं। उन्होंने इस बाबत राज्य सरकार को सूचित किया है वह रविवार को अपना बंगला खाली करेंगे। मालूम हो कि सूबे के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों में से पांच के पास जेड प्लस सिक्योरिटी कवर है। इनमें कल्याण सिंह, मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, मायावती और अखिलेश यादव शामिल हैं।

नारायण दत्त तिवारी के पास वाई श्रेणी की सुरक्षा

वहीं नारायण दत्त तिवारी के पास वाई श्रेणी की सुरक्षा है। इसके अलावा सभी के पास अलग से एनएसजी कमांडो का सुरक्षा घेरा भी रहता है। इस लिहाज से सबसे कमजोर कड़ी नारायण दत्त तिवारी हैं जिनका बंगला आसानी से खाली कराया जा सकता है। हालांकि उन्हें सपा सरकार में राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया था। अब यदि राज्य सरकार उनसे बंगला खाली कराती है तो उसे पहले यह दर्जा वापस लेना होगा। अब देखना यह है कि बाकी पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास मौजूद जेड प्लस सिक्योरिटी को मद्देनजर रखते हुए राज्य सरकार क्या फैसला लेती है। यदि वह इसका हवाला देकर बंगला खाली नहीं करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार क्या रुख रहेगा।

 

प्रियंका वाड्रा को मिली थी राहत

इस मामले का एक दूसरा पहलू यह भी है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा के दिल्ली में लुटियंस जोन स्थित अपने सरकारी बंगले का किराया कम करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए किराया कम करने का अनुरोध किया था जिसे तत्कालीन भाजपा सरकार ने मान लिया था।

चिट्ठी लीक होने के बाद मचा हड़कंप

वहीं गुरुवार को मुलायम सिंह यादव द्वारा मुख्यमंत्री को बंगला बचाने को लेकर दिए गये पत्र के लीक होने से पंचम तल पर हड़कंप मच गया। आनन-फानन में मुख्यमंत्री के निजी सचिव पीतांबर यादव और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल के निजी सचिव शिशुपाल को हटा दिया गया था। इस मामले की गाज मुख्यमंत्री के विशेष सचिव अमित सिंह के कार्यालय के समीक्षा अधिकारी एमएम त्रिपाठी पर भी गिरी थी।

सिक्योरिटी से लेना-देना नहीं

वहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास जेड प्लस सिक्योरिटी होने का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। जेड प्लस सिक्योरिटी में करीब 36 पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात किए जाते हैं जो आठ-आठ घंटे में बदलते रहते हैं। जेड प्लस सिक्योरिटी कवर वाले माननीयों को सरकारी आवास दिए जाने की अनिवार्यता जैसा कोई नियम नहीं है।

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